Saturday 21 March 2020

अपनी ऊर्जा बिखराओ


अपनी ऊर्जा बिखराओ


क्यूं चाहिए सोने चांदी
अपना ओज बढ़ाने को
मत ढांको तुम अपनी उर्जा
उसे छटा बिखरने दो

निज प्रकाश से अपना मुखडा
सूरज सा दमकेगा साथी
 नहीं चमकना शशि की भांति
भाड़े की रौनक ले लेकर.

आओ खुद में खुद  को ढूँढें
जो प्रकाश अंदर बिखरा है
ढांक रखा चादर से जिसको
उस आभा को छितराने दो

नहीं चाहिए सोने चांदी
अपना ओज बढ़ाने को
मत ढांको तुम अपनी उर्जा
उसे छटा बिखराने दो

लेखनी : कंचन झा
@सर्वाधिकार सुरक्षित

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