Thursday 6 March 2014

मेरा कोई अपना


दिल के करीब....कोई हलचल सा 
फिरता है हरपल
एक सपने सा 
मेरा कोई अपना.

मोहनी मूरत लिए..
फूलों सा कोमल
प्रेम की परिभाषा
मेरा कोई अपना.

आहट ही देती है सुकून 
अंतरात्मा पोषित
होती हो जैसे
क्या कहें कैसा 
पर मेरा कोई अपना.

तन को , मन को 
उपस्थिति का एहसास है
पुकारता है मुझे..
न जाने कौन सा संबोधन 
पर दिल को छूती है आहट उसकी

हाँ है वो मेरा कोई अपना. 

आँखिक मोती ..


आँखिक किछु बिखरल मोती 
राखि लैत छी सँजो क..
खुशी केर सीप में ..
फेर कखनहुँ
छोडि दैत छी हिनका उन्मुक्त
भावना केर समुद्र में
देखैत छी,
अचानक 
चाहैत अछि हावी होब 
दुख केर  चट्टान 
हमर एहि मोती पर .
लागैत अछि कोनों भँवर सन ...
की हैत अंत ,
एहि चिर संघर्षक. 
आ फेर 
जीत जैत अछि हमरे मोती.