Tuesday 20 September 2016

बदल दो....,,तस्वीर.

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यूँ अश्रुगीत कब तक बहेंगे.
हम कर्महीन कब तक सहेंगे.
आत्मा पर कब तक अपने,
हिमालय कोई डाले रखेंगे.
कर रही चीत्कार मानवता आज,
सुनो देश के वीर............
बदल दो भारत की तस्वीर.
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अँधेरी गलियों में अब तो..
जुगनू भी डर जाता है.
इंसानों की बात ही क्या,
हर जर्रा , डर थर्राता है.
क्योँ जला दी हमने अपनी,
खुशियों की जागीर....
बदल दो.. भारत की तस्वीर.
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चाहे अपना हो या पराया,
दुश्मन सदा विनाशक होता.
मानवता का खून बहा दे..
ऐसा कोई सगा न होता.
चलो दिखा दें उनको उनकी,
जैसी हो तस्वीर .
बदल दो भारत की तकदीर.

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