Sunday 11 September 2011

नारी (मैथिली पत्रिका "कर्णामृत " अप्रैल -जून २०११ में प्रकाशित )

नारी शक्ति छथि
नारी ममता छथि
निष्प्राण शारीर केर
आत्मा  छथि

हम छी ,अहाँ छी
आई जगत में
से संभव केनिहार
नरिए छथि

नारी अथाह समुद्र छथि
तं
गगनहि जेकाँ
विशालो छथि

जं पुष्प सन कोमल
छथि  तं
पर्वत सन कठोर
आ साहसी सेहो छथि

प्रेम केर
अनंतता सं
करेज में समेटनिहार
नारी छथि

महिषासुर सन
असुर केर
संहार केनिहरि
सेहो नारी छथि

नारी सं
संसार अछि
नरिए सं
आकार अछि

अंक लगेनिहारि
नेह केनिहारि
कान पकरि क
नीक बेजाए सिखौनिहरि

सम्पूर्ण जीवन
पुरुषक अधीनता क वावजूद
पुरुष उत्पन्न क
नेहाल भेनिहारि नारी छथि

कतेको बंधन में सदैब
स्वछंद रहली
कतेको कष्ट में सदैव
हँसैत रहली

जिनका
कतेको उपमा में
बान्हल गेल
मुदा बेर-बेर
सदैब
अनुपमेय रहली
सैह नारी छथि. 

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