Monday 18 January 2021

अनहद ई जाड़

 अनहद ई जाड़

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 हाड़- हाड़ कंपा देल

एहि बेर जाड़ भेल।

जाड़क प्रचंडता में

जान -माल काँपि गेल।


दू टा किछु देबै जखन

जठराग्नि पोषित हो।

ओहि अग्नि सौंसे ई

हाड़- मांस ताप सेकत।


चलु चलु  उठू आब

जुनि करू आसकैत।

उठबै त काज हेतै

तापक ओरियान हेतै।


सुरुजक उग्रास हेतैन

कुहेसक घेरा स।

उठि जेता जखने ओ

जन जन के प्राण भेटत।


लेखनी: कंचन झा

फोटो: गूगल सँ साभार


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