इतना आसां नहीं होता
बिपरीतताओं के बीच,
तूफानों के थापेडो में भी,
साहस का दामन थामे रखना.
इतना असां नहीं होता
अनजाने में अपने को खोकर ,
बस संतोष रखकर ,
भीड में अनजान हो जाना.
इतना असां नहीं होता
दामन की खुशियों को ,
खोकर भी ,
चेहरे की शिकन को छिपाना.
इतना असां नहीं होता
शब्दों में पिरोकर ,
भावनाओं का गुलिस्ता,
किसी अपने को पहुंचना.
बिपरीतताओं के बीच,
तूफानों के थापेडो में भी,
साहस का दामन थामे रखना.
इतना असां नहीं होता
अनजाने में अपने को खोकर ,
बस संतोष रखकर ,
भीड में अनजान हो जाना.
इतना असां नहीं होता
दामन की खुशियों को ,
खोकर भी ,
चेहरे की शिकन को छिपाना.
इतना असां नहीं होता
शब्दों में पिरोकर ,
भावनाओं का गुलिस्ता,
किसी अपने को पहुंचना.
No comments:
Post a Comment