ऐ बादल उड़ते रहना
खिलते रहना तू भी
मुझसा ही
जीवन का सत्य समझ
चलते रहने को
खिलते रहना तू भी
मुझसा ही
जीवन का सत्य समझ
चलते रहने को
मुड जाएगा कर्म तेरा
जो रुख होगा
बहती बयार का.
मैं और तू
रास्ते अलग
पर धुरी एक है
वही चक्र तेरा मेरा भी
अंतर है बस ,
चलने भर का .
नीक अछि, पर मैथिली मे लिखबाक प्रयास करू ।
ReplyDeleteDhanyawaad shashidhar ji. Hamar aan Rachna je Maithili me aich...kripaya ohi par apan vichar di t margdarshan bhetat.
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