बस सो़चते गए और
हर हाल बयां हो गया....
छोटी सी इस कलम से
अहसास बयां हो गया....
अब तक दफ़न था दिल में
दिल की ही बात मेरी ,
ये नोंक फिसलती गई ...
और शब्द में ढलती गई ...
होंठों से जो भी शब्द ,
नहीं जन्म ले सके कभी
उनको नया जनम मिला ..
मेरी भावना को अभिव्यक्ति मिली...
BAHUT SUNDAR BHAV
ReplyDeleteधन्यवाद....
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