इन्द्रधनुष सी वक्र
बड़ी-बड़ी पलकों के बीच से
निहारती
तुम्हारी आँखें.....
न जाने कौन सा सवाल
छिपा है
भीतर इनके.......
हर समय
प्रश्नवाचक भाव लिए
उठती हैं
तुम्हारी आँखें.......
प्रश्नों के सांचे में
ढलने दो
हर एक सवाल ......
तभी तो
उत्तर पा सकेंगी
तुम्हारी आँखें .......
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