दिल के करीब....कोई हलचल सा
फिरता है हरपल
एक सपने सा
मेरा कोई अपना.
मोहनी मूरत लिए..
फूलों सा कोमल
प्रेम की परिभाषा
मेरा कोई अपना.
आहट ही देती है सुकून
अंतरात्मा पोषित
होती हो जैसे
क्या कहें कैसा
पर मेरा कोई अपना.
तन को , मन को
उपस्थिति का एहसास है
पुकारता है मुझे..
न जाने कौन सा संबोधन
पर दिल को छूती है आहट उसकी
हाँ है वो मेरा कोई अपना.